Sarfaraz

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लेखनी कहानी -15-Feb-2022 मेह़फ़िल

🌹 🌹 🌹 *ग़ज़ल* 🌹 🌹 🌹

ख़्वाहिश ए दिल दबी'दबी है अभी।
उनके  'होठों   पे  ख़ामशी है अभी।

उम्र  भर  उनके  दिल  में  रहना 'है।
यह   ठिकाना   तो  आर्ज़ी है अभी।

मय'  छलकने  दे  मस्त  आँखों  से।
मेरे    होठों    पे   'तिश्नगी 'है अभी।

आ  के  बैठे  नहीं  सँभल  कर तुम।
उसपे  कहते  हो  वापसी  है 'अभी।

उनके  जलवे  मैं  किस  तरह 'देखूँ।
मेरी  आँखों   में   ख़ैरगी  है  अभी।

जाम    रख   'ले   सुराहियाँ  'दे  दे।
होश  'में   हूँ   मैं , आगही 'है अभी।

यह  अ़जूबा  नहीं  तो 'फिर क्या है।
मेरा दिल मुझ से अजनबी है अभी।

उनपे  'यूँ   ही   असर  नहीं 'शायद।
मेरी  चाहत  में  कुछ कमी है अभी।

दिल  का  दीपक 'फ़राज़ जलने दो।
उनकी  मेह़फ़िल 'में तीरगी है अभी।

सरफ़राज़ हुसैन 'फ़राज़ मुरादाबाद।

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2 Comments

Dua Abbas

15-Feb-2022 09:01 AM

Bahut khoob sarfraz sahab

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Sarfaraz

15-Feb-2022 08:13 AM

शुक्रिया

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